कोर्रोना वाइरस को लेकर बालकृष्ण ने कहा दी बड़ी बात,खबर पढ़ कर मिलेगा सुकून

कोर्रोना वाइरस को लेकर बालकृष्ण ने कहा दी बड़ी बात,खबर पढ़ कर मिलेगा सुकून

कोरॉना वाइरस को बढ़ा चढ़ा कर पेश किया जा रहा है। यह सर्दी जुखाम का ही एक बड़ा रूप है, यह कहना है आचार्य बालकृष्ण का......... इस वर्ष कोरोना वायरस के प्रकोप पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि कोरोना वायरस, डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू, सार्स वायरस जनित आदि जो भी संक्रामक रोग हैं इनको भयावह रूप में प्रस्तुत किया जाता है। कोरोना वायरस सर्दी-जुकाम का ही एक बड़ा रूप है। इसके नाम पर भय का वातावरण बनाया जा रहा है। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस वर्ष होली पर्व को सादगी से मनाने का आह्नान किया। पतंजलि योगपीठ स्थित आयुर्वेद भवन में आज फाल्गुनी नवसस्येष्टि यज्ञ का आयोजन कर आचार्य बालकृष्ण महाराज ने समस्त देशवासियों को परम्परागत होली पर्व के लिए शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि इस ऋतु में चारों ओर विविध प्रकार के पुष्प व फसलें तैयार हो जाती हैं। फसलों का यज्ञ में आधान करके फाल्गुनी नवसस्येष्टि का आयोजन किया जाता है। उन्होंने कहा कि होलक का अभिप्राय अर्ध-पक्व अन्न से है। इसे आषाढ़ी नवसस्येष्टि भी कहते हैं। आचार्य जी ने कहा कि हमारे एक-एक श्वास व कर्म में यज्ञ का भाव समाहित हो जाए, यही होली पर्व की सार्थकता है। उन्होंने पतंजलि विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थियों तथा कार्यक्रम में उपस्थितजनों को होली पर्व पर अपने-अपने घर में परिवारजनों के साथ यज्ञ करने का आह्वान किया। आचार्य जी ने कहा कि इस वर्ष वैदिक सनातन परम्परा के अनुसार होली मनाएँ। जो कार्य करणीय हैं उन्हें अपनाएँ तथा जो त्याज्य हैं उनका त्याग करें। उन्होंने कहा कि हम सात्विक परम्परा का निर्वहन करते हुए उत्सवों को इस रूप में मनाएँ कि हमारे जीवन में उत्साह भर जाए तथा हमारे लिए हर क्षण, हर दिन और पूरा जीवन ही उत्सव बन जाए। ऋषि संस्कृति का संवाहक आपको और हमें ही बनना होगा। इस अवसर पर श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि आजकल होली पर्व पर विभिन्न रसायनयुक्त रंगों व नशे का प्रचलन बढ़ रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। होली पर्व पर प्राकृतिक रंगों का प्रयोग करें। आचार्य जी ने कहा कि नशा जीवन को बर्बाद कर देता है। हमारी ऋषि संस्कृति में सभी त्यौहार परम पवित्र व कल्याणकारी हैं। उन्हें नशा व प्रदूषण से मुक्त रखना हमारा परम दायित्व है।

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